ठाकुर का कुंआ -ओमप्रकाश वाल्‍मीकि

चूल्‍हा मिट्टी का
मिट्टी तालाब की
तालाब ठाकुर का.

भूख रोटी की
रोटी बाजरे की
बाजरा खेत का
खेत ठाकुर का.

बैल ठाकुर का
हल ठाकुर का
हल की मूठ पर हथेली अपनी
फसल ठाकुर की.

कुंआ ठाकुर का
पानी ठाकुर का
खेत-खलिहान ठाकुर के
गली-मुहल्‍ले ठाकुर के
फिर अपना क्‍या?
गांव?
शहर?
देश?

(नवंबर, 1981)
('सदियों का संताप' संकलन से)

3 Responses to “ठाकुर का कुंआ -ओमप्रकाश वाल्‍मीकि”

मुसाफिर बैठा ने कहा…

प्रथमतः तो गंगा सहाय मीणा भाई,आपके इस कदम का स्वागत करता हूँ कि'दलित कविता कोश'बना आपने इंटरनेट जगत में एक भाव की पूर्ति की.
बधाई!बहुत जरुरी था यह.अब एक जगह चीज़ें आ सकेंगी तो दलित कविताओं के बारे में एक समझ बनाने में आसानी होगी.सन्दर्भ और शोध-अध्ययन के लिए भी इस कोश का महत उपयोग हो सकेगा.मुझे दृष्टिपूर्ण युवा 'गंगा' की प्रतिभा चमत्कृत करती है.

विजय गौड़ ने कहा…

bahut bahut aabhar bhai. is mahtwpurn blog ke liye.
FILHAL prakashan, dehradun se prakashit valmiki ji ke is sanghrah ki kaviton ko uske chhapne ke wakt 1989 me dalit kavitain kahna sambhaw bhi na tha. hindi me dalit sahitya us wakt aaya na tha. pustak ke prakashan ki sthitiyon ka jikr ek blog post me hua hai, link de raha hu
http://likhoyahanvahan.blogspot.com/2008/03/blog-post_16.html

PUKHRAJ JANGID पुखराज जाँगिड ने कहा…

आपके इस प्रयास की जितनी तारिफ की जाए उतनी कम है... फिलहाल तो निशब्द हूँ... कृपया इसे जारी रखें... बहुत-बहुत शुभकामनाएं... हम आपके साथ है। नई पीढी वैसे भी किताबों से दूर होती जा रहा है, ऐसे में इसका महत्त्व ओर अधिक बढ जाता है। इससे कविताओं की बारिकीयों को एक ही जगह पर समझने में भी आसानी होगी। पुखराज।

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