वर्णश्रेष्ठताजनक सामाजिक आरक्षण
भकोस रहे कुछ सज्जन
चाणक्य प्रणीत साम-दाम-दण्ड-भेद में से
माकूल पेंच भिड़ाकर
बस इसी योग्यता के बूते
अपने लिए और अपनी परवर्ती पीढ़ियों के लिए
कई सरकारी पद सहज ही हथियाते रहे
और यकीनन
इतने कुछ के बावजूद
वे ताजिंदगी आरक्षण-मन से रहे कोसों दूर
जीभर संवैधानिक आरक्षणभोगियों और
उसके प्रणेता बाबा साहेब अंबेडकर को
पानी पी पीकर कोसते गरियाते रहे।
परशुराम जयंती 2004
आरक्षण बनाम आरक्षण - मुसाफिर बैठा
1:29 am
गंगा सहाय मीणा
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